“मातृ देवो भव, पितृ देवो भव, आचार्यदेवो भव, अतिथिदेवो भव” की संस्कृति अपनाओ! -स्वामी रामदेव अतीत को कभी विस्म्रत न करो, अतीत का बोध हमें गलतियों से बचाता है। -स्वामी रामदेव यदि बचपन व माँ की कोख की याद रहे तो हम कभी भी माँ-बाप के क्रतघ्न नहीं हो सकते। अपमान की ऊचाईयाँ छूने के बाद भी अतीत की याद …
Read More »