प्रेम ज्ञान से सुरक्षित रहता है,
मांगने से नष्ट होता है,
संदेह से परखा जाता है और आकांक्षा से विकसित होता है|
यह श्रद्धा से खिलता है और कृतज्ञता से बढ़ता है|
प्रेम संपूर्ण ब्रह्माण्ड का सार है|
प्रेम से किया कर्म सेवा है|
और तुम ही प्रेम हो!

Everything comes to us that belongs to us if we create the capacity to receive …