“मातृ देवो भव, पितृ देवो भव, आचार्यदेवो भव, अतिथिदेवो भव” की संस्कृति अपनाओ! -स्वामी रामदेव
अतीत को कभी विस्म्रत न करो, अतीत का बोध हमें गलतियों से बचाता है। -स्वामी रामदेव
यदि बचपन व माँ की कोख की याद रहे तो हम कभी भी माँ-बाप के क्रतघ्न नहीं हो सकते। अपमान की ऊचाईयाँ छूने के बाद भी अतीत की याद व्यक्ति के जमीन से पैर नहीं उखडने देती। -स्वामी रामदेव
सुख बाहर से नहीं भीतर से आता है। -स्वामी रामदेव
भगवान सदा हमें हमारी क्षमता, पात्रता व श्रम से अधिक ही प्रदान करते हैं। -स्वामी रामदेव
हम मात्र प्रवचन से नहीं अपितु आचरण से परिवर्तन करने की संस्कृति में विश्वास रखते हैं।
-स्वामी रामदेव
विचारवान व संस्कारवान ही अमीर व महान है तथा विचारहीन ही कंगाल व दरिद्र है।
-स्वामी रामदेव
भीड में खोया हुआ इंसान खोज लिया जाता है परन्तु विचारों की भीड के बीहड में भटकते हुए इंसान का पूरा जीवन अंधकारमय हो जाता है।
-स्वामी रामदेव
बुढापा आयु नहीं, विचारों का परिणाम है।
-स्वामी रामदेव
विचार शहादत, कुर्बानी, शक्ति, शौर्य, साहस व स्वाभिमान है। विचार आग व तूफान है साथ ही शान्ति व सन्तुष्टी का पैगाम है।
-स्वामी रामदेव
पवित्र विचार-प्रवाह ही जीवन है तथा विचार-प्रवाह का विघटन ही मत्यु है।
-स्वामी रामदेव
विचारों की अपवित्रता ही हिंसा, अपराध, क्रूरता, शोषण, अन्याय, अधर्म और भ्रष्टाचार का कारण है।
-स्वामी रामदेव
विचारों की पवित्रता ही नैतिकता है।
-स्वामी रामदेव
विचार ही सम्पूर्ण खुशियों का आधार है।
-स्वामी रामदेव
सदविचार ही सद्व्यवहार का मूल है।
-स्वामी रामदेव
विचारों का ही परिणाम है-हमारा सम्पूर्ण जीवन। विचार ही बीज है, जीवनरुपी इस व्रक्ष का।
-स्वामी रामदेव
विचारशीलता ही मनुष्यता, और विचारहीनता ही पशुता है।
-स्वामी रामदेव
पवित्र विचार प्रवाह ही मधुर व प्रभावशाली वाणी का मूल स्त्रोत है।
-स्वामी रामदेव
अपवित्र विचारों से एक व्यक्ति को चरित्रहीन बनाया जा सकता है, तो शुध्द सात्विक एवं पवित्र विचारों से उसे संस्कारवान भी बनाया जा सकता है।
-स्वामी रामदेव
हमारे सुख-दुःख का कारण दूसरे व्यक्ति या परिस्थितियाँ नहीं अपितु हमारे अच्छे या बूरे विचार होते हैं।
-स्वामी रामदेव
वैचारिक दरिद्रता ही देश के दुःख, अभाव पीडा व अवनति का कारण है।
-स्वामी रामदेव
वैचारिक द्रढता ही देश की सुख-सम्रध्दि व विकास का मूल मंत्र है।
-स्वामी रामदेव
हमारा जीना व दुनियाँ से जाना ही गौरवपूर्ण होने चाहिए।
-स्वामी रामदेव
आरोग्य हमारा जन्म सिध्द अधिकार है।
-स्वामी रामदेव
उत्कर्ष के साथ संघर्ष न छोडो!
-स्वामी रामदेव
बिना सेवा के चित्त शुध्दि नहीं होती और चित्तशुध्दि के बिना परमात्मतत्व की अनुभूति नहीं होती।
-स्वामी रामदेव
आहार से मनुष्य का स्वभाव और प्रक्रति तय होती शाकाहार से स्वभाव शांत रहता मांसाहार मनुष्य को उग्र बनाता है।
-स्वामी रामदेव
जहाँ मैं और मेरा जुड जाता है वहाँ ममता, प्रेम, करुणा एवं समर्पण होते हैं।
-स्वामी रामदेव
“न” के लिए अनुमति नहीं है।
-स्वामी रामदेव
स्वधर्म में अवस्थित रहकर स्वकर्म से परमात्मा की पूजा करते हुए तुम्हें समाधि व सिध्दि मिलेगी।
-स्वामी रामदेव
प्रेम, वासना नहीं उपासना है। वासना का उत्कर्ष प्रेम की हत्या है, प्रेम समर्पण एवं विश्वास की परकाष्ठा है।
-स्वामी रामदेव
माता-पिता का बच्चों के प्रति, आचार्य का शिष्यों के प्रति, राष्ट्रभक्त का मातृभूमि के प्रति ही सच्चा प्रेम है।
-स्वामी रामदेव
साधूनां दर्शनं पुण्यं, “तिर्थभूता हि साधव:” देह के भीतर देही को देखो?
-स्वामी रामदेव