कबीर आप ठगे सुख उपजत है
और ठगे दुःख होत है।
कबीर साब कहते है ए मेरे सतसंगी भाई बहन अगर तू ठगा गया तो तू फायदे में है पर अगर तूने किसीको ठगा तो तुझे परमार्थ में नुकसान होगा।
आइये देखे कैसे?
अगर आपको किसीने ठगा तो आपको कोई परमार्थी नुकसान नहीं होगा
पर सत्संगी किसीको ठगता है
तो करम का सिधांत है उस सत्संगी को हिसाब चुकाने के लिए एक और जनम लेना पडेगा।
पर हम सोचते है
ये जग मीठाअगला किसने
दिठा ।
दोखे में न रहे सत्संगी कान खोल कर सुन लेँ
एक एक पाई का एक एक करम का हिसाब देना पडेगा।
क्यों के करो और नहीं भरो
ये प्रकुर्र्ती का नियम ही नहीं है।