सफल होने पर तुम गर्व करते हो और असफल होने पर उदास होते हो। दोनों तुम्हें अपने आन्तरिक आनन्द से, अपने सच्चे सामर्थ्य से दूर ले जाते हैं। यदि तुम सफल हुए, तो क्या? बस एक और काम किया, तुम और अधिक कर सकते हो। यदि नहीं कर पाए, तो भी क्या? पुन: संकल्प के साथ प्रयत्न करो। बिना उदास …
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